सोमवार, 12 सितंबर 2016

हमें ऐसी कविताएं चाहिए

(T J Dema के लिए, जिनकी नियॉन कविता से प्रेरणा मिली, औचित्य को तलाशने की)

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सच में
उन कविताओं का कोई औचित्य नहीं होता है
जिनका कोई मकसद नहीं होता है
और वो कविताएं
जिनका कोई मकसद नहीं होता है
जो अधूरी होती हैं
अर्थहीन
एक क्षणिक वैचारिक उद्वेलन भर 
वो असंतुष्ट होती हैं
उस क्षणभंगुर कवि के समान
जिसने उनको भ्रष्ट कर दिया
कविता में सार्थकता का होना बहुत जरूरी है
तभी इस पीढ़ी को उन पर भरोसा होगा
बिना भरोसे की कविता
बेअदबी है
खुद कविता के साथ 
सच में
उन कविताओं का कोई मतलब नहीं होता है
जिनको पढ़कर कौम नकारा हो जाती है
उनका कोई मकसद नहीं होता
जो एक पीढ़ी को भटका दें
अलगाव के रास्ते पर
हमें ऐसी कविताएं नहीं चाहिए
जो समाज को
राईट और लेफ्ट में बांट दें
ये वैचारिक बंटवारा
निरर्थक है
हमें ऐसी कविताएं नहीं चाहिए
जो कागज पर कलम से लिखी जाएं
जिनको बासी होने पर
रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाए
हमारी कविताएं दीवारों पर लिखी होनी चाहिए
सड़कों पर बिखरी होनी चाहिए
भीड़ के हर-एक चेहरे पर छपी होनी चाहिए
ऐसी कविताएं ...
जिनमें मकसद होता है
हम उनको दूसरों की आंखों में पढ़ सकते हैं
ऐसी कितनी कविताएं हम रोज़ लिखते हैं
जो कहीं नहीं छपती
न किसी अखबार में
न किसी किताब में
न किसी ब्लॉग पर
जो किसी काव्य पाठ तक भी नहीं पहुंच पाती
लेकिन वो भी कविताएं होती हैं
जिनमें मकसद होता है
जिनको अक्सर हम लिख नहीं पाते हैं
बस सोच कर
सराह कर रह जाते हैं
आखिर
ऐसी कविताओं को लिखना
उनके मकसद को कुंद करना है
उनका काम उद्वेलन का है
उनकी सार्थकता आपको प्रेरित करने  में है
आपको ऐसी कविताओं को सहेज कर रखना होता है
जिनका कोई मतलब होता है
ऐसी मकसद वाली कविताएं ही
सार्थक कही जा सकती है
एक प्यार में डूबी कविता भी
सार्थक हो सकती है
अगर वो अपने प्यार को जी पाए...
एक विरह गीत भी
अपनी सार्थकता पा सकता है
एक सौंदर्य रस से भीगी कविता
उतनी ही जरूरी होती है
लेकिन हमें खोखला सौंदर्य बोध नहीं
विचारशीलता भी चाहिए
जिससे कविताओं में सुंदरता
और कविताओं की सुंदरता मुकम्मल हो सके
हमें एक तरह की कविताओं का गुलाम नहीं बनना है
हमें उनको साधना है
जिससे वो भी सार्थक हो सकें
हमारी कविताएं
गतिशील होनी चाहिए
उन्हें बहना होगा
कविताओं में बहाव होना बहुत जरूरी है
जिससे वो हमारी पीढ़ी के साथ
हमें आगे ले जाए...
हमें कट्टर कविताएं नहीं चाहिए
ऐसी कविताएं जो पथभ्रष्ट करती हैं
हमें ऐसी रचनाओं को न कहना ही होगा
कविताएं...मनुष्य को इंसान बनाती हैं
धर्मांध बनाने वाली कविताएं
हमें अस्वीकार करनी होगी
क्रांति के नाम पर
भटकाने वाली कविताएं हमें नहीं चाहिए
जिन कविताओं का मकसद क्रांति है
वो विध्वंस के साथ नहीं चल सकती
क्रांति की कविताएं
हमें परिवर्तन...
उत्थान की तरफ ले जाने वाली चाहिए
खोखले सपनों वाली कविताएं
सतही होती हैं
हमारे सपने हमारी सोच सरीखे हों
ऐसे सपने नहीं चाहिए
जिनकी कीमत इंसान का चरित्र हो
ऐसे सपनों का
ऐसी कविताओं का
हमारी दुनिया से कोई वास्ता नहीं
ऐसी विशुद्ध कविताएं
जिनमें आप
शैली...रूपक, उपमा-अलंकार
और बिंब तलाशते रहे
काव्य का सौंदर्य
उसकी सार्थकता में भी होता है
गल्प कथाओं वाली कविताएं
इनसे भ्रमित होना बंद करना होगा
कविता में शिल्प के साथ
तार्किकता का समावेश भी जरूरी है
हमें उन कविताओं से भी परहेज़ नहीं
जिनको अकविता कहा जाता है
उनका ध्येय स्पष्ट होना चाहिए
हमें कविताओं में गुट नहीं बनाने हैं
व्यक्तिपूजा वाली कविताएं
समाज की उपेक्षा करने वाली कविताएं
लोगों को अलग-थलग करने वाली कविताएं
हमें नहीं चाहिए
कविताएं सिर्फ अच्छी नहीं
कड़वी भी होनी चाहिए
उस सच की तरह ही कड़वी
जिसे आईने में आप खुद बर्दाश्त न कर पाएं
हमें ऐसी कड़वी कविताएं चाहिएं
बिना मतलब
बिना मकसद की
मीठी कविताएं
जिनकी मिठास एक कसैलेपन में ढलती जाती है
ऐसी कविताओं पर मुझे ऐतराज़ है
हमें ऐसी कविताएं चाहिएं
जिनसे हमारी नस्लें सुवासित रहें
उनकी आत्माएं तृप्त रहें
उनका बचपन
ज़िंदा रहे
हमें बचपन को बांधने वाली कविताएं नहीं चाहिए
हमें ऐसी कविताएं चाहिए
जिनमें हमारा बचपन
महफूज़ रहे
जिनमें हमारी सभ्यता को
अंश-अंश सहेज कर रख सकें
ऐसी कविताओं के खोल में
हमारी संस्कृति
हमारा समाज
जीवित रहे
हमें ऐसी कविताएं चाहिए
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हेमन्त वशिष्ठ
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